पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड (PPF) अकाउंट टैक्स सेविंग, रिटायरमेंट प्लानिंग और बेहतर रिटर्न का एक भरोसेमंद विकल्प रहा है. यह सभी वर्ग के निवेशको में काफी लोकप्रिय है.
इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण टैक्स में बचत है. जी हाँ यह न केवल 80C अपितु 10D जैसे कर लाभ देता है.
अगर PPF में निवेश किया जाए तो न केवल टैक्स कटौती का फायदा मिलता है, अपितु मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाला ब्याज और कुल रकम भी टैक्स फ्री होती है. इसी वजह से यह EEE श्रेणी का एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है.
एक निवेशक PPF अकाउंट में एक वित्त वर्ष के दौरान न्यूनतम 500 रुपये व अधिकतम 1,50,000 रुपये निवेश कर सकता है. यदि निवेशक किसी वित्त वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये की राशी जमा नहीं की जाती है तो PPF अकाउंट इनएक्टिव हो जाता है.
इनएक्टिव PPF अकाउंट पर ब्याज तो मिलता है लेकिन इस पर मिलने वाली कुछ अन्य सुविधाओं का लाभ निवेशक नहीं ले सकता.
आइये जाने PPF अकाउंट के इनएक्टिव होने के नुकसान.
आंशिक विदड्रॉल नहीं कर सकते
PPF अकाउंट की दिशानिर्देश के अनुसार पीपीएफ अंशधारक अपने पीपीएफ अकाउंट से जमा राशी का अधिकतम 50 फीसद 6 वित्त वर्ष पुरे होने के पश्चात निकाल सकता है.
यह आंशिक निकासी केवल एक्टिव अकाउंट में ही संभव है. पीपीएफ के इनएक्टिव अकाउंट में यह सुविधा नहीं मिलती.
पीपीएफ अकाउंट से आंशिक निकासी भी टैक्स फ्री होती है.
लोन नहीं ले सकते
पीपीएफ अंशधारक अपने एक्टिव पीपीएफ अकाउंट पर अकाउंट खुलने के बाद तीसरे और छठे वित्त वर्ष के बीच लोन ले सकते है.
लेकिन यदि पीपीएफ अकाउंट इनएक्टिव हो तो पीपीएफ अंशधारक इस सुविधा का लाभ नहीं ले सकते.
मैच्योरिटी पूरा होने के पहले अकाउंट बंद नहीं कर सकते
पीपीएफ अकाउंट १५ वर्षो में मैच्योर होता है अर्थात पीपीएफ अंशधारक इसे 15 सालो के पहले बंद नहीं कर सकता. लेकिन विशेष परिस्थियों जैसे गंभीर बीमारी का इलाज, बच्चों की उच्च शिक्षा आदि जैसी जरूरतों पर समय से पहले बंद कराया जा सकता है.
5 वर्ष पूर्ण होने पर पीपीएफ अकाउंट विशेष परिस्थियों में बंद कराया जा सकता है. लेकिन यदि पीपीएफ अकाउंट इनएक्टिव हो तो इसे बंद नहीं किया जा सकता.
कैसे करे पीपीएफ अकाउंट को रीएक्टिवेट
पीपीएफ अकाउंट को आसानी से फिर से एक्टिव मोड में लाया जा सकता है. इसके लिए अपने सम्बंधित बैंक या पोस्ट ऑफिस में एक एप्लीकेशन देनी होती है. साथ ही 50 रुपये सालाना जुर्माना और जिस समय से अकाउंट में पैसा जमा नहीं किया है, उस अवधि का 500 रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से बकाया राशी पीपीएफ अकाउंट में जमा करनी पड़ती है.